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कहलील जिबरान द्वारा पैग़म्बर से काव्यात्मक निबंध, दो भाग शृंखला का भाग १- "अपराध और सजा"

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आपमें बहुत कुछ अभी भी आदमी है, और आपमें बहुत कुछ अभी भी मानव नहीं है, लेकिन आकारहीन बौना जो धुंध में सोते हुए चलता है अपने स्वयं की जागृति की खोज के लिए। और आप में के आदमी से अब मैं बोलूंगा। क्योंकि यह वह है और आपका ईश्वर-स्व नहीं न ही धुंध में बौना, जो अपराध और अपराध की सजा जानता है।