खोज
हिन्दी
  • English
  • 正體中文
  • 简体中文
  • Deutsch
  • Español
  • Français
  • Magyar
  • 日本語
  • 한국어
  • Монгол хэл
  • Âu Lạc
  • български
  • Bahasa Melayu
  • فارسی
  • Português
  • Română
  • Bahasa Indonesia
  • ไทย
  • العربية
  • Čeština
  • ਪੰਜਾਬੀ
  • Русский
  • తెలుగు లిపి
  • हिन्दी
  • Polski
  • Italiano
  • Wikang Tagalog
  • Українська Мова
  • Hrvatski jezik
  • अन्य
  • English
  • 正體中文
  • 简体中文
  • Deutsch
  • Español
  • Français
  • Magyar
  • 日本語
  • 한국어
  • Монгол хэл
  • Âu Lạc
  • български
  • Bahasa Melayu
  • فارسی
  • Português
  • Română
  • Bahasa Indonesia
  • ไทย
  • العربية
  • Čeština
  • ਪੰਜਾਬੀ
  • Русский
  • తెలుగు లిపి
  • हिन्दी
  • Polski
  • Italiano
  • Wikang Tagalog
  • Українська Мова
  • Hrvatski jezik
  • अन्य
शीर्षक
प्रतिलिपि
आगे
 

विभिन्न धर्मों में शाकाहार पशु माँस खाने की मनाही

विवरण
डाउनलोड Docx
और पढो

बहाई आस्था

"पशुओं का मांस खाने और ना खाने के बारे में, आपका सत्य जानना जरूरी है, कि सृष्टि की शुरूआत में , परमात्मा ने प्रत्येक जीव का भोजन निश्चित कर दिया था, और उस नियम के विरुध भोजन करना गलत है।"

बौद्ध धर्म

"...सभी मांस भक्षक सजीव प्राणियों में अपने स्वयं के रिश्तेदारों को भक्षण करते हैं।" ~लंकावतार सूत्र

"बच्चे के जन्म के बाद भी इस बात का ध्यान दिया जाता है माँ को मांसयुक्त स्वादिष्ट भोजन के खिलाने लिए किसी पशु का बध न किया जाय और अनेक रिश्तेदारों को शराब पीने या मांस खाने के लिए एकत्र न किया जाय जन्म जैसे जटिल समय पर वहां बुरे राक्षस होते हैं, आश्रमवासी होते हैं और प्रेत होते हैं जो सुगन्धित रक्त पीना चाहते हैं, पशु की बलि चढ़ा कर उनका भोजन के रूप मे प्रयोग करने के लिए। वे श्राप के दबाव से स्वयं को बचा लेते हैं, जो मां और बच्चे दोनो के लिए मजबूती प्रदान करते हैं।" ~कसिटीगर्भ सूत्र

"किसी की मौत के तुरन्त बाद के दिनों में सावधान रहें, ना हत्या या नष्ट करें या देवताओं और देत्यों की पूजा कर या भेंट चड़ा कर पाप अपने सर लेना... क्योंकि इस तरह से की गयी हत्या या कत्ल या पूजा करने या बलि देने से मरने वाले को रत्ति भर का भी लाभ नहीं होगा, अपितु इससे उसके ऊपर और अधिक बुरे कर्म चढ़ जायेंगे, पिछले कर्मों के अलावा, जो पहले से कहीं अधिक गहरे और दुखदायी होंगे। ...जिससे उसके ऊँचे स्तर में दोबारा जन्म लेने में विलम्ब होगा" आयओटा अर्थात सूक्ष्म (लगभग शून्य) चिन्ह। कर्म अर्थात प्रतिफल ~क्सीतीगर्भ सूत्र

"अगर भिक्षु रेशम से बने वस्त्र, स्थानीय चमड़े और फर के जूते नहीं पहनते हैं, और दूध, क्रीम और उसके मक्खन के उपभोग से बचते हैं, वे वास्तव में सांसार से मुक्त हो जाएंगे; यदि कोई आदमी अपने शरीर और दिमाग को (नियंत्रित) कर सकता है और इस तरह से पशु मांस खाने व पशु उत्पादों को पहनने से बचता है, मैं कहता हूं वह वास्तव में मुक्त हो जाएगा।" भिक्षु का अर्थ है सन्यासी ~सुरंगमा सूत्र

“अगर मेरा कोई भी शिष्य अभी भी मांस खाता है, जानें कि वह कैंडेला के वंश का है। वह मेरा शिष्य नहीं है और मैं उसका शिक्षक नहीं हूं। इसलिए, महामति, अगर कोई मेरा रिश्तेदार होना चाहता है, उसने कोई भी मांस नहीं खाना चाहिए।" कैंडेला का अर्थ है मारनेवाल या हत्यारा। ~ लंकावतार सूत्र

काओदाय-धर्म

".... सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात है हत्या करने को रोकना.... क्योंकि पशुओं में भी आत्माएं होती हैं और मानवों जैसी समझ होती हैं। क्यांकि अगर हम उनकी हत्या करते और उन्हें खाते हैं, तो हम उनके रक्त के ऋणी हैं।" ~संतों की शिक्षाएं,

ईसाई धर्म

"पेट के लिए मांस और मांस के लिए पेटः किन्तु ईश्वर दोनों का विनाश कर देगा इसका और उनका।" ~ पवित्र बाईबिल

"और जब अभी मांस उसके दांतों के बीच में ही था, उसे चबा रहा था, लोगों के प्रति परमात्मा का क्रोध बढ़ने लगा, और परमात्मा ने लोगों पर भयानक आपदा डाल दी।" ~ पवित्र बाईबिल

कनफ्यूशियसवाद

"सभी व्यक्तियों में मन होता है जो दूसरों के कष्टों को देखना सहन नही का सकता। अतः सर्वोच्च प्राणी, जानबर जो उन्हें जीवित दिखाई देते हैं वह उन्हें मरा हुआ देखना सहन नही कर सकता; उनके मरने की चीखें सुनना, वह उनका मांस खाना पसंद नही करता।" ~मेनसिअस

दाओ दुआ धर्म (नाम-कुओक बोद्ध धर्म)

“शांति के लिए मानवता को पहले पशुओं के साथ शांति करनी होगी; खुद को खिलाने के लिए उनकी हत्या नहीं करें, फिर लोगों के बीच शांति आएगी।” ~मास्टर नगुयेन थांह नाम, नाम कुओक फ़ैट टेम्पल

एस्सीन

"मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि कुर्बानी और जानबरों का रक्त, यदि ये प्रस्तावित करना और मांस और रक्त खाना छोड़ दे, ईश्वर के क्रोध को आप नही रोक पाएंगे।" ~गोसपेल ऑफ दि होली ट्वेल्व

हिन्दूधर्म

"जब आप मरे हुए जानवर का जीवन वापस नहीं ला सकते तुम उनको मारने के प्रति जबावदेह हो इसलिए तुम नर्क जा रहे हो तुम्हारी मुक्ति के लिए कोई रास्ता नहीं है। ~अदि लीला

"वह जो अपने मांस में वृद्धि करने की इच्छा से दूसरे जीवों के मांस का भक्षण करता है, दुर्दशा में जीते हैं चाहे वह किसी भी वर्ग में जन्म ले।" ~महाभारत, अनु

"हे महात्मा राजन! अगर दूसरों को दुःख दे कर चीज़ें प्राप्त हुई, को प्रयोग किया जाता है पूजा के कामों में, तब वे उलटा असर देंगी फल देने के समय।" ~देवी भागवत

इस्लाम

"अल्लाह किसी के साथ दया नहीं करेगा, सिबाय उनके जो दूसरे जीवों पर दया करता है।" ~हादिथ

"अपने पेट को पशुओं का शमशान ना बनने दें।" ~हादिथ

जैन धर्म

"एक सच्चे संत को ऐसा भोजन और पेय स्वीकार नही करना चाहिए जो विषेश रूप से उसके लिए तैयार किया गया हो जिसमें सजीव प्राणियों के उत्पाद सम्मिलित हों।" - सूत्रकृतंगा

जूडा धर्म

"और कोई भी व्यक्ति हो जिसका घर ईजराइल में है, या कोई अजनबी है जिसका घर आपके मध्य हो, जो किसी भी रूप में रक्त भक्षण करता हो; मैं यहां तक कि उन आत्मा की ओर से अपना मुंह फेर लूंगा जो रक्त भक्षण करता है, और स्वयं को अपने लोगों से अलग कर लेगा।" ~ पवित्र बाईबिल रक्तः अर्थात "मांसाहार," जिसमें खून है.

सिख धर्म

"वे आत्माएं जो मरिजुआना, मांस और षराब का सेवन करती हैं - इसका कोई अर्थ नही कि तीर्थयात्राएं, व्रत और त्योहारों का वे अनुसरण करें, वे सभी नरक में जाएंगे।" - गुरु ग्रन्थ साहिब,

ताओवाद

"पर्वतों पर जाल में पक्षियों को पकडने न जाए, न ही जल में मछलियां और जलचरों को पकडने हेतु विष मिलाएं। बैल को मत काटिए।" - ट्रेक्ट ऑफ दि क्वाइट वे

तिब्बत बौद्धवाद

"पशुओं को मार कर देवताओं को मांस का भोग लगाना वैसा ही है, जैसे माँ को अपने ही बच्चे का भोग लगाना। यह भयानक पाप है।" ~अनुयायी का परम मार्ग।

जोराष्ट्र्वाद

"वे पौधे, मैं, अहूरा माजदा (परमात्मा), पृथ्वी पर बरसते हैं, भोजन लाने के लिए आस्था के लिए और लाभदायक गाय के चारे के लिए।" ~एवेस्टा

आदि…

ये कुछ उदाहरण मात्र हैं। अधिक जानकारी के लिए, कृपया लॉग ऑन करें: SupremeMasterTV.com/scrolls

आप समझे, पशु मांस खाना, यानी हम अपना प्रेम कम कर रहे हैं अपने अस्तित्व में, अपने ढांचे से, पवित्र ढांचे से। हम प्रभु से पैदा हुए हैं, हम पवित्र थे, हम सच्चे बच्चे थे प्रभु के। लेकिन अगर हम पशुओं का मांस खाते हैं तो मानव और पशुओं के बीच के प्रकार के रक्त और जेनेटिक कोड की मिलावट से हम सच्चे मानव रचना के सिरमौर होने की अपनी स्थिति गंवा देते हैं।

शुद्ध मानव के रूप में, हम प्रभु के बच्चे, प्रकाश से सीधे संपर्क में हैं, ब्रह्मांड के नियंत्रण केंद्र की शक्तिशाली मालिक शक्ति के संपर्क में हैं। हमारे पास परम नियंत्रण है सारे स्वर्गों के तहत, क्योंकि हम शुद्ध थे, और हम प्रभु के बच्चे हैं। लेकिन जैसे हम विभिन्न तत्वों को अपने अस्तित्व में रखते हैं, शारीरिक भी, तो यह हमारे आध्यात्मिक ढांचे को भी प्रभावित करता है। क्योंकि हम मिलावटी-लिंग बन जाते हैं, मिलावटी संरचना, शुद्ध नहीं रहते, हम संकरित हो जाते हैं, हम राक्षसी बलों से आक्रमण के प्रति भेद्य हो जाते हैं, क्योंकि हम अब शुद्ध नहीं रह जाते। इस तरह, इस प्रकार का मिलावटी प्राणी का लोप हो सकता है, क्योंकि यह मिलावटी प्राणी ब्रह्मांड के केंद्र को काफी विभ्रांत ऊर्जा विभ्रांत संदेश भेजता है। यह शुद्ध मानव के रूप में अभिज्ञात नहीं है। तो हम समाप्त हो सकते हैं, इस भौतिक जगत से, पुनःनिर्माण के चक्र के लिए, शुद्धता और पुनः उपयोग के लिए फिर से हटाए जाने के लिए। लेकिन यह प्रक्रिया काफी पीड़ादायक और यातनामयी हो सकती है, लंबी अवधि में, इसमें पृथ्वी के लाखों साल लग सकते हैं।

सभी लोग जानते हैं कि वीगन आहार स्वास्थ्य के लिए और ग्रह को बचाने के लिए अच्छा है। वे अपनी खुद के महान, करूणामय, प्रेममयी आत्म-प्रकृति को जागृत करेंगे। और फिर उनकी चेतना का स्तर स्वतः उपर उठेगा। और वे उससे अधिक समझेंगे जो उन्होंने कभी समझा। और वे उसकी अपेक्षा स्वर्ग के अधिक निकटतर होंगे जितने वे अभी हैं।

और देखें
नवीनतम वीडियो
2024-11-01
41 दृष्टिकोण
6:06
2024-11-01
1 दृष्टिकोण
2024-11-01
16 दृष्टिकोण
2024-11-01
18 दृष्टिकोण
2024-11-01
33 दृष्टिकोण
2024-10-31
358 दृष्टिकोण
8:33

Earthquake Relief Aid in Peru

244 दृष्टिकोण
2024-10-31
244 दृष्टिकोण
2024-10-31
718 दृष्टिकोण
2024-10-31
710 दृष्टिकोण
2024-10-30
654 दृष्टिकोण
साँझा करें
साँझा करें
एम्बेड
इस समय शुरू करें
डाउनलोड
मोबाइल
मोबाइल
आईफ़ोन
एंड्रॉयड
मोबाइल ब्राउज़र में देखें
GO
GO
Prompt
OK
ऐप
QR कोड स्कैन करें, या डाउनलोड करने के लिए सही फोन सिस्टम चुनें
आईफ़ोन
एंड्रॉयड